बड़ी जद्दोजहद से मैंने ये वक़्त गुजारा
कहने को तो सब हैं पर माँ का न सहारा
ये चेहरे की चमक नियामत है तुम्हारी
बहुत याद आती है माँ वो झुर्रियां तुम्हारी
वो पुरानी यादें, वो बचपन हमारा
बहुत याद आता है माँ आँचल तुम्हारा
वो सुबह का उठाना, वो रात का सुलाना
अब कहाँ मुमकिन वो माँ का जमाना
वो अमीरी हमारी जो तुमने बनाई
बड़ी नांव चलती थी माँ तेरी बनाई
जरा सी बात पे मुंह खोलकर रोना
बहुत याद आता है माँ तेरा मनाना
ये रिश्ते पुरानी और उनका निभाना
बहुत याद आता है माँ तेरा जमाना ...
दोस्तों उपरोक्त पंक्तियाँ मैं अपनी माँ की याद में , माँ दिवस 13.05.12 को लिखी थी ... और उसी दिन मुझे मेरी माँ के आशीर्वाद के फलस्वरूप एक चार पहिया वाहन प्राप्त हुआ अगर आज मेरी माँ भोतिक रूप से मेरे पास होती तो वह बहुत खुश होती ... मगर मेरे जीवन का पहला चार पहिया वाहन मैं अपनी माँ को समर्पित करता हूँ.. नमन करता हूँ .. उस माँ को जिसने मुझे जन्म दिया .. और इस लायक करा ...