शाम जब आती है
दिवाकर वक़्त के परों पर बैठकर
धीरे धीरे चला जाता है
मुस्कराता हुआ
तो तुम बहुत याद याद आते हो
और ऊस लालिमा के साथ
डूबने लगता है ये दिन भी ...
शाम की सुचना देते पंक्षी
जब लौटने लगते हैं बसेरों को
दरख्तों के लम्बे होते साये
पड़ते हैं जब जमीनों पर
तो अचानक ही तुम्हारी याद आ जाती है
व्यतीत होता एक और दिन
समाप्त हो जाता है
और एक आशा आंसू बनकर
मुस्कराने लगती है
जब शाम आती है ......