तुम्हे मेरे साथ आने की
जरूरत क्या है
मैं गिर जाऊं उठाने की
जरूरत क्या है
ठोकर खाऊँ हज़ार बार
सहारा देने की जरूरत क्या है
लाख जख्मी होऊं
मरहम लगाने की जरूरत क्या है
तुमने ही तो कहा है
प्यार है हमेशा रहेगा
प्यार जताने की जरूरत क्या है
- विशु
यह कविता मेरी बहुत अच्छे दोस्त के द्वारा लिखी है
मंगलवार, 19 मई 2009
सोमवार, 4 मई 2009
एक शाम .....
शाम जब आती है
दिवाकर वक्त के परों पर
बैठकर
धीरे धीरे मुस्कराता हुआ
चला जाता है
तो तुम बहुत याद
आते हो
और उस लालिमा के
साथ ये दिल
भी डूबने लगता है .....
शाम के आने की
सूचना देते पक्षी
जब लौटते हैं
घोसलों को दरख्तों के
लंबे होते साये
पड़ते हैं जमीनों पर
तो अचानक ही तुम्हारी
याद आ जाती है
व्यतीत होता एक और दिन
समाप्त हो जाता है
और एक आशा आंसूं बनकर
आँखों मैं मुस्कराने लगती है
जब शाम आती है .........
दिवाकर वक्त के परों पर
बैठकर
धीरे धीरे मुस्कराता हुआ
चला जाता है
तो तुम बहुत याद
आते हो
और उस लालिमा के
साथ ये दिल
भी डूबने लगता है .....
शाम के आने की
सूचना देते पक्षी
जब लौटते हैं
घोसलों को दरख्तों के
लंबे होते साये
पड़ते हैं जमीनों पर
तो अचानक ही तुम्हारी
याद आ जाती है
व्यतीत होता एक और दिन
समाप्त हो जाता है
और एक आशा आंसूं बनकर
आँखों मैं मुस्कराने लगती है
जब शाम आती है .........
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