ढूंढते
ढूंढते जिंदगी
थक गई...
इक दिया सा कहीं रह्गुजारों में था..
चलते रहे रास्तों में ता उम्र हम ..
मंजिलें तक़दीर के फ़साने में था..
सोचा न मिलूँगा उससे कभी ..
मगर वों ख्वाबों के महलों में था..
भागता रहा पल पल जिससे बचकर..
होश में आया तो वों मेरे पहलु में था.....
इक दिया सा कहीं रह्गुजारों में था..
चलते रहे रास्तों में ता उम्र हम ..
मंजिलें तक़दीर के फ़साने में था..
सोचा न मिलूँगा उससे कभी ..
मगर वों ख्वाबों के महलों में था..
भागता रहा पल पल जिससे बचकर..
होश में आया तो वों मेरे पहलु में था.....