शनिवार, 18 जुलाई 2020

प्रतीक्षा ..

हाँ ये होता है ... 
मुश्किल की घडी जल्दी नहीं जाती है 
यादें हमेशा से और आती हैं .. 
कितने बार ऐसा होता है 
आदमी टूट जाता है
बिखर जाता है 
मगर वो  नहीं आता है  
प्रतीक्षा हाँ ये प्रतीक्षा बहुत डराती है 
किसी के आने की आस 
उसका अहसास 
क्या गलत क्या सही 
न जाने कितने सवालात कौंध 
जाती है 
प्रतीक्षा हाँ ये प्रतीक्षा बहुत डराती है 
न जाने बारम्बार किसी आहट पर 
नजरें कौंध जाती है 
धड़कने बढ़ जाती है 
कई अतार्किक सवाल 
अपने से आप करने लगता है 
जिसका कोई सर-पैर नहीं होता है 
कभी अपने को झुठलाता है 
कभी उसको झुठलाता है 
मगर यथार्थ वहीँ होता है 
निश्छल, अमिट और अडिग 
मन कहाँ मानता है 
कितने हीं नोटिफिकेशन को 
बार बार देखता हैं 
यह अहसास होता है 
कि  अबकी बार हाँ अबकी बार 
वो आया है ... 
मगर ऐसा नहीं होता है 
दरवाजा हमेशा से ही खुला है 
उसकी आस में 
उसकी अहसास में 
आँखे पथरा गयीं हैं 
दिल बैठ गया है 
मगर जिसका इंतजार है 
वह नहीं आया है 
प्रतीक्षा हाँ ये प्रतीक्षा बहुत डराती है