क्या हुआ, कैसे हुआ
या हुआ अचानक ..
देखते देखते बदल गया
स्वयं का कथानक
परछाईओं ने भी छोड़ दिए
अब तो अपने दामन ..
परिंदों ने भी बंद किये है
स्वयं को कोलाहल
पहचानती थी ईंट वह
जो ठोकर खाकर भटक गयी
पथ पर रहने के बजाये
पथ का रोड़ा बन गयी ...
अभिलाषाओं को कुंदन हुआ
आशाओं का तुषार पात
तड़ित दमकी और गिर पड़ी
उठकर देखा तो मौत खड़ी ...
उसने भी नकार दिया ..
पहचानने से इंकार किया ..
आशाओं को बुझा दिया ..
ले जाने से इंकार किया ..
क्या हुआ, कैसे हुआ या हुआ अचानक.......
very nice amod ji....jo v hota hai achanak hi hota hai..
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