जिंदगी का फलसफा...
कुछ कहा कुछ अनकहा...
हंसती, खिलखिलाती अपनी "भावना"....
कुछ नए अंदाज में आवाज देकर करना मामा निमस्ते...
याद आती है अपनी वो "भावना"...
"भावना" अपनी भावना कह न सकी..
हम सब को छोड़ गयी अपनी प्यारी "भावना"...
जिंदगी यूँ ही गुजरी रोज की तरह..
सबेरा हुआ, पंक्षी चहचहाने लगे...
सभी अपने में व्यस्त होने लगे..
मगर न रही अपनी प्यारी "भावना"...
बहुत याद आती है...
हम सब की अपनी प्यारी वों "भावना"....
जिंदगी का फलसफा...
कुछ कहा कुछ अनकहा...
भावना... अपनी प्यारी "भावना"....
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