आज हवाओं का रुख कुछ थम गया है ..
उसको फिर से कुछ याद आ गया है...
धुप में वो तपन भी नहीं है ....
फिजां में वो लहर भी नहीं है...
यूँ तो यह बात पुरानी है ...
ज़ख्म तो नया है पर टीस पुरानी है ...
आँगन की घासें वही हरी -भरी हैं ...
पर जगह जगह नागफनी उग रही है ...
कई चेहरे लेकर चलते हैं लोग यहाँ ....
अब उनको अपना कहना यार बेमानी है....
उसको फिर से कुछ याद आ गया है...
धुप में वो तपन भी नहीं है ....
फिजां में वो लहर भी नहीं है...
यूँ तो यह बात पुरानी है ...
ज़ख्म तो नया है पर टीस पुरानी है ...
आँगन की घासें वही हरी -भरी हैं ...
पर जगह जगह नागफनी उग रही है ...
कई चेहरे लेकर चलते हैं लोग यहाँ ....
अब उनको अपना कहना यार बेमानी है....