ढूंढ़ते ढूंढ़ते जिंदगी थक गयी
एक दिया सा कहीं रह गुजरों में था
चलते रहे रास्तों में ता उम्र हम
मंजिलें तक़दीर के फ़साने में था
सोचा न मिलूँगा उससे कभी
मगर वो ख्वाबों के महलों में था
भागता रहा पल- पल जिससे बचकर ...
होश में आया तो वो मेरे पहलु में था...
sahi hai kisi aur ne bhi kaha hai jisko dhoondha gali gali vo mere ghar ke pichhvade mili . .बहुत सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति . आभार हाय रे .!..मोदी का दिमाग ................... .महिलाओं के लिए एक नयी सौगात आज ही जुड़ें WOMAN ABOUT MAN
जवाब देंहटाएंNice !!!
जवाब देंहटाएंशालिनी कौशिक जी.. आपका बहुत बहुत आभार .. ..
जवाब देंहटाएंरजनीश झा सर.. आपका भी बहुत बहुत आबार..