जाओ तुमको तुम्हारे हाल पे
मेने छोड़ दिया
तुमको इससे ज्यादा में और
दे भी क्या सकता था ...
देखो इस सूखे दरख्त को जिसने
बहुत फल खिलाये थे .. पर…
आज यहाँ परिंदा भी अपना घोसला
नहीं बनाता ..
ये खड़ा है .. और कल शायद नहीं रहेगा ...
लोग गुजर रहे हैं .. और गुजरते रहेंगे भी ..
ये दौरे सफ़र है .. आज मेरा है ...
कल तेरा भी होगा . .. ..
ये खड़ा है .. और कल शायद नहीं रहेगा ...
जवाब देंहटाएंलोग गुजर रहे हैं .. और गुजरते रहेंगे भी ..
ये दौरे सफ़र है .. आज मेरा है ...
कल तेरा भी होगा . .. .. दरखत को प्रतीक बना मन की भावनाओं को उकेरती अच्छी कविता
बहुत बहुत आभार आपका dr.mahendrag जी
जवाब देंहटाएंवाह वाह क्या कहने ....
जवाब देंहटाएंये दौरे सफ़र है .. आज मेरा है ...
कल तेरा भी होगा . .. ..
_____शानदार रचना
जय हिन्द !
bahut khub.. sundar rachna.. dhanyawad.. mama jee..
जवाब देंहटाएंआदरणीय अलबेला खत्री जी आपका धन्यवाद् ....
जवाब देंहटाएंनिधि "लाडो" धन्यवाद् ....
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