शाम जब आती है ..
दिवाकर वक़्त के परों पर बैठकर..
धीर धीरे चला जाता है ...
और उस लालिमा के साथ..
ये दिल भी डूबने लगता है...
शाम के आने कि सूचना ...
देते पंक्षी जब लौटते हैं बसेरों को..
दरख्तों के लम्बे होते साये....
पड़ते हैं जमीनों पर....
तो अचानक ही तुम्हारी ..
याद आ जाती है..
और व्यतीत होता एक दिन ....
समाप्त हो जाता है..
और एक आशा आंसूं बनकर..
आँखों में मुस्कराने लगती है..
जब शाम आती है..
दिवाकर वक़्त के परों पर बैठकर..
धीर धीरे चला जाता है ...
और उस लालिमा के साथ..
ये दिल भी डूबने लगता है...
शाम के आने कि सूचना ...
देते पंक्षी जब लौटते हैं बसेरों को..
दरख्तों के लम्बे होते साये....
पड़ते हैं जमीनों पर....
तो अचानक ही तुम्हारी ..
याद आ जाती है..
और व्यतीत होता एक दिन ....
समाप्त हो जाता है..
और एक आशा आंसूं बनकर..
आँखों में मुस्कराने लगती है..
जब शाम आती है..
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