सोमवार, 9 अप्रैल 2012

व्याकुलता(तनाव)

तनाव की लिखावटें अक्सर अजीब  होती   हैं...


कांपती  सी और कुछ उलझी हुयी...


उनमे कहीं कहीं शब्द टूट जाते हैं.....


कटिंग होती है और सहायक  क्रिया नहीं  होती है...


और सबसे अजीब होता है सपनों का मरना......


एक दोस्त बात को बदल  के कहता है....


खतरनाक है सपनों का बिखर जाना....


दूसरा दोस्त बात को फिर बदलता है कहता है..... 


सबसे अधिक खतरनाक है सपनों का बिक   जाना.....


वह सब कुछ बेच   सकता  है.....


अपनी ज़मीर, अपना ज़हां.....


यहाँ  तक कि अपना स्वप्न... 


दिमाग रह रह कर सोचता है.....


माथे पर सिलवटें बढती जाती हैं....


शायद तनाव भरी पड़ता  HAI....


ज़िन्दगी यूँही गुज़रती है तनाव में...


रह जाता है सिर्फ तनाव....तनाव.....तनाव....







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