बुधवार, 9 फ़रवरी 2011

सपना

वो इत्तेफाक था ..... रस्ते में मिल गया मुझे
में देखता रहा उसे, वो देखता रहा मुझे
बड़े अचम्भे से देख रहा मुझे
में जानता हूँ, बरसों से जानता है मुझे ।
खोज न सका वो ज़माने की भीड़ में
कुछ सोच समझ कर खो दिया मुझे
बिखर चुका था, तो अब समेटा क्यूँ था
उसने मुझे इस कदर देखा क्यूँ था
मुझे उससे अब कोई शिकाएत नहीं
वो खुश है अपनी दुनिया में भुला कर कहीं
सोचता हूँ, देखता हूँ, और खो जाता हूँ
सपना ये है, सपना वो था...... और सपने में खो जाता हूँ...

झोंका

ये शाम, सुहावना मौसम,
तेरी कमी को बता जाता है
हर शख्श मेरे चेहरे को देख
तुझे पढ़ के चला जाता है
एक ठंडी हवा का झोंका भी
दिल मैं तुझे धड़का जाता है
तू आती है घटा की तरह
और बरस के चली जाती है .....
ये शाम, सुहावना मौसम
तेरी कमी को बता जाता है ........

गुरुवार, 3 फ़रवरी 2011

कज़ा

मैं जहाँ चला जाता हूँ
तू वहीँ चली आती है
मेरे मन के हर संकरे रास्तों पर
तेरे पद के निशान है
आखिर तू क्यूँ चली आती है
मेरे साये के साथ
तू नहीं जानती है
मेरे मन मैं कितना मरुस्थल हैं
जब मैं देखता हूँ
तू पास ही नजर आती है
फिर भी दूर है
चाहता हूँ तू पास न आये
फिर भी तू आएगी एक दिन
साथ लेकर जाएगी एक दिन
तू आयेगी, तू आयेगी
तू जरुर आयेगी.....

प्यार