शनिवार, 29 जून 2013

रिश्ता....

रिश्ता.... 
ख्वाब नहीं है 
ये मेरा ख्याल नहीं है 
ये तेरा सवाल नहीं है 
रिश्ता ..... 
किसी  के लिए चाँद है 
किसी के लिए ख्वाब है 
तो किसी के लिए कसक है 
किसी के लिए महक है 
रिश्ता .... 
बहता पानी है 
मानो तो अमृत है 
न मानो तो बहता पानी है 
रिश्ता .... 
रेत है 
जितना पकड़ो 
सरकता जाता है 
रिश्ता तो रिसता है 
रिश्ता ..... 
खून का हो 
या हो तेरा, या हो मेरा 
रिश्ता तो रिसता है .... 

बुधवार, 26 जून 2013

तनाव....

तनाव की लिखावटें...
अक्सर अजीब होती हैं ...
काँपती सी और कुछ उलझी हुई..
उनमें कहीं कहीं शब्द छुट जाते हैं ..
कटिंग होती है..
और सहायक क्रिया नहीं होती है
सबसे अजीब होता है ..
सपनों का मरना ..
एक दोस्त पाठ को बदल कर कहता है ..
खतरनाक है सपनों का बिखर जाना ..
दूसरा दोस्त पाठ को फिर बदलता है ..
कहता है उससे अधिक खतरनाक है ..
सपनों का बिक जाना ..
वह सब कुछ बेच सकता है ..
अपनी जमीर, अपना जहाँ..
यहाँ तक कि अपना स्वप्न ..
दिमाग रह रह कर सोचता है ..
माथे पर सिलवटें बढती जाती है ..
शायद तनाव भारी पड़ता है ..
जिंदगी यूँ ही गुजरती है ..
तनाव में ..
रह जाता है सिर्फ तनाव, तनाव, तनाव ...

सोमवार, 24 जून 2013

अचानक ..



क्या हुआ, कैसे हुआ ..
या हुआ अचानक ..
देखते देखते  बदल गया..
स्वयं का कथानक ..
परछईओं ने भी छोड़ दिए ...
अब तो अपना दामन ..
परिंदों  ने भी  बंद किये हैं ..
स्वयं का कोलाहल..
पहचानती थी वह ईंट भी ..
जो ठोकर खाकर भटक गयी..
पथ पर रहने के बजाए..
पथ का रोड़ा  बन गयी..
अभिलाषाओं का कुंदन हुआ..
आशाओं का तुषार पात ..
तड़ित दमकी और गिर पड़ी ..
उठकर देखा तो मौत खड़ी..
उसने भी  नकार दिया..
पहचानने से इंकार किया ..
आशाओं को बुझा दिया..
ले जाने से इंकार किया.. 
सबकुछ बदला बदला है..
सबके बदले तेवर हैं..
अपना कौन.. कौन बेगाना..
जाना कौन.. कौन अन्जाना ..
अब यहाँ नहीं है कोई नायक ..
दिखता नहीं  है कोई सहायक ..
क्या हुआ .. कैसे हुआ.. या हुआ  .. अचानक ..

शनिवार, 15 जून 2013

सूनापन ..

रात में, मैं कतई अकेला होता हूँ.. 

और निर्जन अकेले में जो सभा जुटती है ..


उसमे जो  कहते - कहते थकता नहीं है.


और सुनते - सुनते चीखने नहीं लगता है . 


वह केवल में ही होता हूँ...


क्यूंकि, मुझे अपने हिस्से करने आते हैं ..


और बांटने के सिवाय हार के और क्या है..


मेरे साथियों के पास ...


मेरे लिए कोई नहीं जी सकता ..


सब अपने लिए .. आकर जाने की तयारी करते हैं..  ..


रात में, मैं कतई अकेला होता हूँ..

गुरुवार, 13 जून 2013

सोचा न था..

यूँ तो तक़दीर ने देखे हैं मोड़ कई ...
जिंदगी यूँ ही मुड़ेगी कभी सोचा न था..
कई ज़माने से  प्यासा हूँ में यहाँ ..
ओस से प्यास बुझेगी कभी सोचा न था..
यूँ तो फिरते हैं कई लोग यहाँ ..
गुदड़ी में लाल मिलेगा कभी सोचा न था ..
किस्मत ने दी है हर जगह दगा ..
मुकद्दर यूँ ही चमकेगा कभी सोचा न था ..
खून करे हैं सभी के अरमानों के हमने..
खून मेरा भी होगा कभी सोचा न था..


बुधवार, 12 जून 2013

डायरी


आज बहुत पुरानी डायरी पर ...
उंगलियाँ चलाईं ...
जाने कहाँ से एक आवाज ..
चली आयी ..
आवाज, जानी पहचानी ...
कुछ बरसों पुरानी ..
एक हंसी,
जो दूर से हंसी जा रही थी..
कितनी बातें अचानक ..
उसी आवाज में चली आयी थी ..
उँगलियाँ बहुत तेजी से ..
डायरी को सहला रही थी ..
जैसे कुछ पकड़ना चाहती हो..
कुछ अहसास करना चाहती हो..
इन्ही अहसासों के साथ ..
कुछ सोचकर ..
डायरी मैंने  .. बंद कर दी
किसी और दिन के लिए ..
यादें सहेज कर .. बंद कर दी..

सोमवार, 10 जून 2013

कौन...??

दोस्तों को दुश्मन बनाया है किसने ..
शमशान में लाशों को पहुँचाया है किसने..

किसने किसको, किसको है देखा ..
न देखा है हमने, न देखा है तुमने...

हुयी शाम, और ये रात है आयी..
किसने, ये तारों की महफ़िल सजाई ...

सोचते-सोचते में सो गया हूँ ..
रात की कालिमा में मैं खो गया हूँ..

किसने इस कालिमा को लालिमा बनाया ..
किसने मुझको फिर से जगाया..

किसने किसको, किसको है देखा ..
न देखा है हमने, न देखा है तुमने...

किसने, हमको और तुमको बनाया ....
बनाकर मिटाया और फिर से बनाया ...

किसने नफरत और द्वेष बनाया ...
किसने प्रेम का सन्देश सिखाया ..

किसने चमन को है मरघट बनाया ..
न जाना है तुमने, न जाना है मैंने..

किसने किसको, किसको है देखा ..
न देखा है हमने न, देखा है तुमने... ??????

गुरुवार, 6 जून 2013

आजकल.....


हर पुराने चोर को खतरा नए चोर से है..
आजकल इस बात की चर्चा बड़े जोरों से है..

मुस्कराहटों से पता चलता नहीं जज्बात का..
मेरा मतलब आँख की उन नम हुयी कोरों से है..

आदमी से क्यूँ डरोगे  आदमी क्या चीज है..
डर अगर कठपुतलियों को है तो वह डोरों से है..

बढ़ गयी हैं नेवलों की और जिम्मेदारियां...
आजकल साँपों की गहरी दोस्ती मोरों से है..

हम क्यूँ साथी बनाये आज तूफानों को..
एक मुद्दत से हमारा साथ कमजोरों से है..