क्या हुआ, कैसे हुआ ..
या हुआ अचानक ..
देखते देखते
बदल गया..
स्वयं का कथानक ..
परछईओं ने भी छोड़
दिए ...
अब तो अपना दामन ..
परिंदों ने
भी बंद किये हैं ..
स्वयं का कोलाहल..
पहचानती थी वह ईंट
भी ..
जो ठोकर खाकर भटक
गयी..
पथ पर रहने के
बजाए..
पथ का रोड़ा
बन गयी..
अभिलाषाओं का
कुंदन हुआ..
आशाओं का तुषार
पात ..
तड़ित दमकी और गिर
पड़ी ..
उठकर देखा तो मौत
खड़ी..
उसने भी
नकार दिया..
पहचानने से इंकार
किया ..
आशाओं को बुझा दिया..
ले जाने से इंकार
किया..
सबकुछ बदला बदला
है..
सबके बदले तेवर
हैं..
अपना कौन.. कौन बेगाना..
जाना कौन.. कौन अन्जाना ..
अब यहाँ नहीं है कोई नायक ..
दिखता नहीं
है कोई सहायक ..
क्या हुआ .. कैसे हुआ.. या हुआ .. अचानक ..
सच्चाई को शब्दों में बखूबी उतारा है आपने . आभार मोदी व् मीडिया -उत्तराखंड त्रासदी से भी बड़ी आपदा
जवाब देंहटाएंआप भी जानें संपत्ति का अधिकार -४.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN
धन्यवाद शलिनी जी .... बहुत बहुत आभार .....
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन काश हर घर मे एक सैनिक हो - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
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