रविवार, 22 दिसंबर 2013

मेरे ख्वाब ....

जाओ तुम और दूर चले जाओ... 
जहां चाहो वहाँ चले जाओ 
मगर जी लो न मन भर 
एक बार मेरे साथ ....
मेरे ख्वाब...  मेरे ख्वाब ... मेरे ख्वाब ....
धीरे से जाना ... 
आहट भी न करना 
नींद न टूटने पाये मेरी 
काँच से नाजुक हैं ये ... 
मेरे ख्वाब .... मेरे ख्वाब ... मेरे ख्वाब .... 
कुछ तुम भी ले जाना 
बहुत हसीन हैं ये 
दुःख में हँसा देंगे ये 
मुझसे भी प्यारे हैं ये ...
मेरे ख्वाब .... मेरे ख्वाब .... मेरे ख्वाब .... 

सोमवार, 16 दिसंबर 2013

हम तो बहुत दूर आ गए...

वो हँसना, वो रोना 
वो दौड़ना, वो भागना 
वो पतंगे, वो कंचे
जने कहाँ छूट गए... 
अरे...... हम तो बहुत दूर आ गए... 
वो खेला, वो मेला 
वो संगी, वो साथी 
वो गुल्ली, वो डंडा 
वो चोर, वो सिपाही 
जाने कहाँ छूट गए ....
अरे...... हम तो बहुत दूर आ गए... 
वो खुशी, वो हंसी 
वो खो-खो, वो कबड्डी 
वो आईस-पाईस, वो ऊंच-नीच 
जाने कहाँ छूट गए.... 
अरे...... हम तो बहुत दूर आ गए... 
अम्मा की रोटी, उनकी अंगीठी 
पापा का प्यार, उनका दुलार 
वो हाफ-पैंट, सर में तेल 
वो नाक का बहना, बाजुओं से पोछना
असपे अम्मा की डांट... 
क्या कहूँ... वो बारिश का होना 
उसमे उछलना 
जाने कहाँ छूट गया .... 
अरे...... हम तो बहुत दूर आ गए... 

रविवार, 8 दिसंबर 2013

नहीं है ...

इसे तो सबको एक दिन छोड़ना ही है 
ये दुनिया है तेरा घर बिलकुल नही है ... 
मज़ा तो खुद से खुद को लूटने में है 
किसी और को लूटना अच्छा बिलकुल नही है ...
मेरी कोशिश से वो बदलेगा एक दिन 
ये मेरा वादा है दावा बिलकुल नही है ... 
मिलेगा एक दिन आफताब हमें 
ये हौसला है ख्वाब बिलकुल नहीं है .... 
जिसे देख कर आ जाता है चेहरे पर नूर 
वो दिल्लगी है दिल की लगी बिलकुल नहीं है ... 
उसने मुझे सब कुछ दिया है इस जहां में 
वो मेरी माँ है दूसरा बिलकुल नही है ... 

शनिवार, 7 दिसंबर 2013

जान जाओगे ...

कभी रोटी, कभी कपड़े के लिए गिड़गिड़ाना किस को कहते हैं 
किसी अनाथ बच्चे से पूछो रोना किस को कहते हैं 
कभी उसकी जगह अपने को रखो फिर जान जाओगे 
कि दुनिया भर का दुःख दिल मे समेटना किस को कहते हैं 
उसकी आँखें, उसके चेहरे को एक दिन घूर के देखो 
मगर ये मत पूछना कि वीराना किसको कहते हैं ... 
तुम्हारा दिल कभी छोड़े अगर दौलत कि खुमारी को  
तो तुम्हें मालूम हो जाएगा कि गरीबी किसको कहते हैं .... 

ठंड आ गई है ...

सुनो उससे कहना...
ठंड आ गई है ...
जरा मेरे अहसासों को
धूप दिखा दें ....
और ख्यालों को भी
सूखा दें ...
ठंड आ गई है ...
रिश्तों की गर्माहट
बहुत जरूरी है ...
गुलाबी मौसम की तरह ...
जिंदगी भी हँसेगी ...
ठंड आ गए है...
जरा अहसासों को धूप दिखा दो...