रविवार, 21 दिसंबर 2014

फ़ासलों के बावजूद

ईतनी घुटन क्यूँ हैं ... 
घर मे खिड़कियों के बावजूद 
जिंदगी उदास क्यूँ हैं 
खुशियों के बावजूद 
हमें बांटने वालों तुम्हें मालूम हों 
आकाश कायम रहेगा 
दीवारों के बावजूद 
हमने उसका दामन तक 
छुआ नहीं था कभी 
वो मेरे सबसे निकट था 
फ़ासलों के बावजूद ...