सोमवार, 9 नवंबर 2015

कितने बार

जाने कितने बार मुझे तुमने इस धरती पर जन्म दिया 
जाने कितने बार मुझे तुमने ये स्वरुप  दिया 
जाने कितने बार मुझे इस नाव पर चढ़ा दिया 
जाने  कितने बार मुझे इस भवसागर से पार किया 
जाने कितने बार मुझे इस मृत्यु ने आलंगन किया 
जाने  कितने बार मैंने इस मृत्यु का वरन किया 
अब थक गया हूँ मैं प्रभु इस भवसागर की धार में 
अब बस करो हे  प्रभु इस भवसागर की जंजाल से .... 

यादें

कुछ भूली -बिसरी यादें हैं 
कुछ ताज़ी तरीन बातें हैं 
कुछ यादें मीठी मीठी हैं 
कुछ करेले सी कडवी हैं 
कुछ को भूलना चाहा  में 
कुछ यादों को में भूल गया 
कुछ को भुला कर भुला दिया 
कुछ यादों को मिटा दिया 
कुछ यादें पल दो पल की थीं 
कुछ यादें चिपक कर बैठी हैं 
में हरपल यादों में रहता हूँ 
यादों को ही में जीता हूँ 
कुछ यादें अपनी अपनों की हैं 
कुछ यादें औरों की जैसी हैं 
यादें तो यादें है ... यादों का क्या......