आज रविवार है और सुबह से शाम तक में अपने बुद्धू बक्से के सामने बैठा प्रणव दा और कलाम साहेब के बारे में देख रहा था ... और सच पूछिये तो थक गया था... तभी मेरे बेटे आयुष और बेटी माही आये .. और कमरे के बाहर से ही कहने लगे ..पापा अपनी आँखे बंद करो ... मैंने इमानदारी से अपनी आँखे बंद करी ... दोनों ने मेरे हाँथ में एक उपहार रखा .... और चिल्लाये हैप्पी फादर डे .... मेरे लिए उन दोनों ने एक सुन्दर डायरी और पेन दिया ...
मुझे आज अपने पापा जी की कमी महसूस हुई ... जब वो थे तो हमें इस फादर डे के बारे में पता नहीं था ....मगर आज सबको पता है ... हम अंग्रेजी संस्कृति की जम के आलोचना करते हैं ...मगर उसी ईमानदारी से हमें उनकी अच्छी चीजों की सराहना भी करनी चाहिए ...
धन्यवाद् ... आयुष और माही .....
मुझे आज अपने पापा जी की कमी महसूस हुई ... जब वो थे तो हमें इस फादर डे के बारे में पता नहीं था ....मगर आज सबको पता है ... हम अंग्रेजी संस्कृति की जम के आलोचना करते हैं ...मगर उसी ईमानदारी से हमें उनकी अच्छी चीजों की सराहना भी करनी चाहिए ...
धन्यवाद् ... आयुष और माही .....