जाने कितने बार मुझे तुमने इस धरती पर जन्म दिया
जाने कितने बार मुझे तुमने ये स्वरुप दिया
जाने कितने बार मुझे इस नाव पर चढ़ा दिया
जाने कितने बार मुझे इस भवसागर से पार किया
जाने कितने बार मुझे इस मृत्यु ने आलंगन किया
जाने कितने बार मैंने इस मृत्यु का वरन किया
अब थक गया हूँ मैं प्रभु इस भवसागर की धार में
अब बस करो हे प्रभु इस भवसागर की जंजाल से ....
बहुत सुन्दर ...
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