वो हँसना, वो रोना
वो दौड़ना, वो भागना
वो पतंगे, वो कंचे
जने कहाँ छूट गए...
अरे...... हम तो बहुत दूर आ गए...
वो खेला, वो मेला
वो संगी, वो साथी
वो गुल्ली, वो डंडा
वो चोर, वो सिपाही
जाने कहाँ छूट गए ....
अरे...... हम तो बहुत दूर आ गए...
वो खुशी, वो हंसी
वो खो-खो, वो कबड्डी
वो आईस-पाईस, वो ऊंच-नीच
जाने कहाँ छूट गए....
अरे...... हम तो बहुत दूर आ गए...
अम्मा की रोटी, उनकी अंगीठी
पापा का प्यार, उनका दुलार
वो हाफ-पैंट, सर में तेल
वो नाक का बहना, बाजुओं से पोछना
असपे अम्मा की डांट...
क्या कहूँ... वो बारिश का होना
उसमे उछलना
जाने कहाँ छूट गया ....
अरे...... हम तो बहुत दूर आ गए...
Bahut hi khoobsoorat aamod ji
जवाब देंहटाएंआपकी यह पोस्ट आज के (१७ दिसम्बर, २०१३) ब्लॉग बुलेटिन - कैसे कैसे लोग ? पर प्रस्तुत की जा रही है | बधाई
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