शुक्रवार, 11 नवंबर 2011

"भावना"



जिंदगी का फलसफा...


कुछ कहा कुछ अनकहा...


हंसती, खिलखिलाती अपनी "भावना"....


कुछ नए अंदाज में आवाज देकर करना मामा निमस्ते...


याद आती है अपनी वो "भावना"...


"भावना" अपनी भावना कह न सकी..


हम सब को छोड़ गयी अपनी प्यारी "भावना"...


जिंदगी यूँ ही गुजरी रोज की तरह..


सबेरा हुआ, पंक्षी चहचहाने लगे...


सभी अपने में व्यस्त होने लगे..


मगर न रही अपनी प्यारी "भावना"...


बहुत याद आती है...


हम सब की अपनी प्यारी वों "भावना"....


जिंदगी का फलसफा...


कुछ कहा कुछ अनकहा...


भावना... अपनी प्यारी "भावना"....


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