सोमवार, 27 मई 2013

जिंदगी

जिंदगी
दर्द है या गम,
कि है नीरस सावन,
या कागज कोरा..
जाती हुयी शाम को ..
आती हुयी रात को ..
खिलखिलाती वो हंसी को,
पंक्षियों के कोलाहल को...
उसको है विश्वास
आएगा फिर सुप्रभात ..
होगी हर तरफ रौशनी ..
न होगी कोई परेशानी ..
जिंदगी है ..
बस यही  विश्वास .. विश्वास.. विशवस ..

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