रविवार, 31 मई 2020

बिलकूल नहीं ....

इसे तो सबको एक दिन छोड़ना ही था ... 
ये दुनिया है तेरा घर बिलकुल नहीं ... 
मज़ा तो खुद से खुद को लुटने में हैं यारों .... 
किसी और को लूटना अच्छा नहीं ... 
मेरी कोशिश से वो बदलेगा एक दिन ... 
ये मेरा वादा है, दावा बिल्कूल नहीं ... 
मिलेगा एक दिन आफताब हमें .. 
ये होसला है, ख्वाब बिलकूल नही है, 
जिसे देखकर आ जाता था चेहरे पर नूर ...
वो दिल्लगी है, दिल की लगी बिलकूल नहीं है .. 
उसने मुझे सब कुछ दिया है इस जहाँ में .. 
वो मेरी माँ है,  दूसरा कोई बिलकूल नही हैं ... 

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