जाते हुए साल के गम में
आते हुए साल की ख़ुशी में
जिंदगी एक किताब सी खुली है
कई सफे तो खुले भी नहीं
किसी सफे को यादों ने मोडा है
किसी पर निशाँ थे आंसुओं के
किसी सफे पर उदासियाँ तैरती थीं
मगर कहने को तो ये किताब थी
कौन जाने कि गिंदगी थी ...............
Bahut Sunder Bhai .....
जवाब देंहटाएंbahut achhi rachna hai....bhawnatmak bhaw vibhor karne wali.......well written, choti paragraph hai but all content inside it...
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