सोमवार, 14 मार्च 2011

मन

हमेशा वह नहीं होता
जो होता है मन मैं
दाना डालता हूँ गौरेया को
खाता कौन है ......
बड़े सहेज कर ये ईमारत
खडी करी है हमने
देखना है ..
रहता कौन है ?
सोचता हूँ बिना कहे वो सब
समझ जायेगा
मगर समझता कौन है ?
किये हैं मैंने बहुत उपाए
जीने के लिए
देखना है अब जीता कौन है ?

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