शनिवार, 21 अप्रैल 2012

इंसानियत कहीं सो गयी है...
लगता है कि जैसे कहीं खो गयी है..  
किसी के दिए दिवाली में है  खाली ..
कोई उन दियो में जाम डालता है... 
किसी के चिता पर मानता है मातम... 
कोई उन चिताओं पर रोटी सकता है.. 

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