सुनो !!
वक्त मत लिया करो ...
समय से तारीफ करा करो
हाँ मगर सच्ची तारीफ़ें
और समय से मुबारकें
तुम्हारी दुआ कबूल हो
उस खुदा को मंजूर हो
जिसने मुझे भेजा यहाँ
तुम जैसे दोस्तों के दिलों में
मिला एक आसियाँ
मैं कितना भी उड़ लूँ
आज मगर सच कहता हूँ
प्यार से अपने बांध लेते हो
वरना मैं क्या होता हूँ
मुस्कराहट में मेरी, तुम्हारी नज़र है
कलम से कुछ नाराज़ अक्षर हैं
वरना कहाँ मैं तुमसे दूर रह पाता हूँ
एक डोर से बंधा चला आता हूँ
खुदा तुम्हें भी सलामत रखें
ओ... मेरे अंजान साथियों
जो तुमसे मिला वो कर्ज है
मुझे लाजवाब कर देने वालों
तुम्हें मेरा सलाम अर्ज है ....
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