बुधवार, 9 अप्रैल 2014

फलसफा

आज मैंने फिर अपने सपनों का सौदा किया 
जिंदगी के उल्टे फलसफ़ों को फिर सीधा किया 
ता-उम्र मेरे काम न आए मेरे उसूल 
आज मैंने उन्हे एक-एक करके नंगा किया 
कुछ कमी मेरी अपनी जद्दोजहद मे थी 
ऐ जिंदगी, तुमसे क्या कहते जो किया अच्छा किया 
हो गई थी कुछ उम्मीदें तुमसे भी 
तुमने भी वही करा जो औरों ने किया 
रात को सोया तो सबेरा तो होना ही था 
ऐ जिंदगी तुमने एक दिन और दिया, अच्छा किया 
कुछ गफलत मेरे अंदाज मे थी 
और तुम मुगालते मे रहे, यह भी अच्छा रहा ....

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