गुरुवार, 25 जून 2015

गर्मी बहुत है ....

सुनो, 
गर्मी बहुत है 
अपने अहसासों की हवा 
को जरा और बहने दो 
यादों के पसीनों को 
और सूखने दो 
सुनो, 
गर्मी बहुत है 
गुलमोहर के फूलों 
से सड़कें पटी पड़ी हैं 
ये लाल रंग 
फूल का 
सूरज का 
अच्छा लगता है 
अपने प्यार की बरसात को 
बरसने दो 
बहुत प्यासी है धरती 
बहुत प्यासा है मन 
भीग जाने दो 
डूब जाने दो 
सुनो,
गर्मी बहुत है .... 

2 टिप्‍पणियां:

  1. मौसम कोई भी हो डूब गए तो अच्छा लगेगा
    बहुत सुन्दर रचना

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    1. बहुत बहुत आभार आ0 Kavita Rawat ji... उत्साहित और प्रोत्साहित करने के लिए....

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