आज बुरा है !!!
तो क्या हुआ ...
कल अच्छा होगा …
बहुत सुना है
बहुत गुना है
कल जरूर अच्छा होगा
और हम भागते रहे
उसी कल की
ओर
उसी अच्छे की ओर
रोज सपने देखते रहे
सँजोते रहे
बुनते रहे, गुनते रहे ...
उस अच्छे के लिए
एक एक दिन गुजरता रहा
हम इत्ते से उत्ते भी हो गए
और कल हमेशा
कल ही रहा ....
दौड़ता रहा... भागता रहा
हुयी रात तो सबेरा भी हुआ
मगर न आया
तो वो सुनहरा कल ...
समय बदला, दिन बदला
जगह बदली, लोग बदले
यहाँ तक कि हम भी बदले
लेकिन न मिला तो केवल वो कल …
और आज को हम
कभी भी जी न सके
इस कल के भंवर मे
उस स्वप्न के सफर मे …
उम्र के इस पड़ाव मे
जल कल कुछ नहीं है ...
तो आज को देखता हूँ
तो आज मे भी कुछ नहीं पाता हूँ
बहुत थक गया हूँ
इस कल के चक्कर मे
आज ही मे जीवन है …
कल का क्या ...
कल तो कल ही है ....
आए न आए ...
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, दुनिया उतनी बुरी भी नहीं - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंbilkul. Sahi kaha.. Swami viveka nand ji ne kaha hi
जवाब देंहटाएंNa to bhut hi or na hi bahwaish.... Jo hi aaj hi hi...