रविवार, 17 मार्च 2013

ख्वाब


रोते, हँसते, गाते मैंने देखा है 
उसे अपने में पलते मैंने देखा है.... 
हमारी दुआओं में उसकी जिंदगी  रोशन है....
उसकी आदतों  को खुद में ढलते मैंने देखा है...
न जाने कौन सा स्वप्न आवाज देता है ...
मैंने अपने आपको नींदों में चलते देखा है.. 
मुझे मालूम है तेरी दुआएं साथ रहेंगी ...
मुश्किलों को हांथों मलते मैंने देखा है... 
मेरी खामोशियों में तैरती है तेरी आवाजें ....
मैंने अपना दिल मचलते देखा है..... 
बदल जायेगा सब कुछ .. बादल छटेगा ....
बुझी आँखों से "ख्वाब" जलते मैंने देखा है.. 

2 टिप्‍पणियां:

  1. Nindon me to... hum bhi chalte hai...par khud ko kabhi chalte nahi deka...arman jroor jale hakikat k hakikat me..bas unko sapano me bujhate dekha.hai....apne ap ko ladkhadate...ghabrate...jakhamo ko sahlate dekha hai...dekha hai bahut kuch guro...par wakai ap jaisa shayer nahi dekha hai

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