शुक्रवार, 5 जुलाई 2013

पुराना जब जाता है ....

ये सच है पुराना जाता नहीं 
तो नया आता नहीं 
पर पुराना जब 
टूट कर जाता है 
तो उसे बहुत याद आता है
कल तक जिस टहनी पर 
वह इतना इतराता था 
इतना ईठलाता था 
आज बेबस पड़ा है 
सड़कों पर आ खड़ा है 
जरा सी हवा आई 
और उड़ा ले गई 
कल तक जो हवा अपने 
आँचल से सहलाती थी 
आज वही हवा 
उसे दर-बदर कर गई  है
तकदीर बदलते 
देर नहीं लगती 
कल तक हरा
आज धूप मे पड़ा 
खड़खड़ा रहा है 
टूटकर उसे बहुत याद आ रहा है .... 

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